जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी।फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी॥था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था।थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबरतुझसे डरता था॥हर मां कि ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा कर…े।देख के उसकी शक्ती को, हर दुशमन उससे डरा करे॥करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है।तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है॥हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा।मै हु तेरा एक अनुयायी,दुश्मन को मार भगाऊंगा॥है धर्म हर हिन्दुस्तानी का,कि तेरे जैसा बनने का।चलना है अब तो उसी मार्ग,जो मार्ग दिखाया प्रताप ने॥
Onwer SharwanSingh Deora
